Uttar Pradesh Politics: तीन साल बाद किसी मामले में अखिलेश को मिला मायावती का साथ, क्या 2024 में फिर साथ आएंगे सपा-बसपा?
उत्तर प्रदेश विधानसभा सत्र का आज दूसरा दिन है। समाजवादी पार्टी के विधायक सदन के बाहर प्रदर्शन कर रहे हैं। सोमवार को सपा प्रमुख अखिलेश यादव की अगुआई में पार्टी के विधायकों ने कानून व्यवस्था, महंगाई जैसे मुद्दों पर पैदल मार्च निकाला। हालांकि, पुलिस ने बैरिकेडिंग करके इस मार्च को रोक दिया। दूसरे दिन भी सदन के अंदर और बाहर सपा विधायकों का प्रदर्शन जारी रहा।
सदन में भी समाजवादी पार्टी के विधायक लगातार नारेबाजी करते रहे। इस बीच, बहुजन समाज पार्टी की प्रमुख मायावती के एक ट्विट ने सियासी हलचल पैदा कर दी है। इस ट्वीट के कई राजनैतिक मायने निकाले जा रहे हैंं। दरअसल, तीन साल पहले सपा-बसपा गठबंधन टूटने के बाद शायद पहली बार है जब मायावती ने किसी मुद्दे पर सपा का समर्थन किया है। इस ट्वीट के बाद राजनीतिक गलियारे में चर्चा है कि क्या 2024 लोकसभा चुनाव में फिर से मायावती और अखिलेश यादव एक साथ आ सकते हैं।
पहले जानिए मायावती ने लिखा क्या?
बहुजन समाज पार्टी की प्रमुख मायावती ने मंगलवार को एक के बाद एक तीन ट्विट किए। इसमें उन्होंने भाजपा सरकार पर तीखा हमला किया तो सपा के लिए उनकी तल्खी कम दिखाई दी। मायावती ने विधानसभा के बाहर सपा के धरना प्रदर्शन के समर्थन में भी अपने ट्वीट में लिखा। हालांकि, उन्होंने अपने ट्वीट में सपा या अखिलेश के नाम का जिक्र अपने ट्वीट में नहीं किया।
मायावती ने लिखा, ‘विपक्षी पार्टियों को सरकार की जनविरोधी नीतियों व उसकी निरंकुशता तथा जुल्म-ज्यादती आदि को लेकर धरना-प्रदर्शन करने की अनुमति नहीं देना भाजपा सरकार की नई तानाशाही प्रवृति हो गई है। साथ ही, बात-बात पर मुकदमे व लोगों की गिरफ्तारी एवं विरोध को कुचलने की बनी सरकारी धारणा अति-घातक।’
मायावती का दूसरा ट्विट इलाहाबाद विश्वविद्यालय में फीस वृद्धि के खिलाफ चल रहे प्रदर्शन के पक्ष में था। इसमें उन्होंने लिखा, ‘इलाहाबाद विश्वविद्यालय द्वारा फीस में एकमुश्त भारी वृद्धि करने के विरोध में छात्रों के आन्दोलन को जिस प्रकार कुचलने का प्रयास जारी है वह अनुचित व निंदनीय। यूपी सरकार अपनी निरंकुशता को त्याग कर छात्रों की वाजिब मांगों पर सहानुभतिपूर्वक विचार करे, बीएसपी की मांग है।’
तीसरे ट्विट में बसपा सुप्रीमो ने फिर से भाजपा सरकार पर हमला किया। उन्होंने लिखा, ‘महंगाई, गरीबी, बेरोजगारी, बदहाल सड़क, शिक्षा, स्वास्थ्य व कानून व्यवस्था आदि के प्रति यूपी सरकार की लापरवाही के विरुद्ध धरना-प्रदर्शन नहीं करने देने व उनपर दमन चक्र के पहले भाजपा जरूर सोचे कि विधानभवन के सामने बात-बात पर सड़क जाम करके आमजनजीवन ठप करने का उनका क्रूर इतिहास है।’
भाजपा और सपा ने क्या कहा?
मायावती के ट्विट पर एक टीवी चैनल पर भाजपा के राज्यसभा सांसद लक्ष्मीकांत वाजपेयी ने बयान दिया। उन्होंने कहा, ‘राजनीतिक क्षेत्र में हर पार्टी के नेता को अपना विचार रखना स्वभाविक प्रक्रिया है। इसलिए अगर मायावती जी ने कुछ बोला है तो भाजपा को उसपर कोई आपत्ति नहीं है। हम अपना काम कर रहे हैं। ये लोग केवल ट्विट के शेर हैं। ट्विट के अलावा ये कुछ नहीं करते हैं।’
वहीं, समाजवादी पार्टी के प्रवक्ता अनुराग भदौरिया का भी बयान आया। उन्होंने मायावती के ट्विट और सपा-बसपा गठबंधन के सवाल को टाल दिया। कहा कि मैं इस मसले पर नहीं पड़ना चाहता हूं। भदौरिया ने आगे कहा, ‘समाजवादी लोग जनता की आवाज उठाते हैं। उनकी परेशानियों को सरकार तक पहुंचाने का काम करते हैं। अच्छी बात है कि समाजवादी पार्टी की आवाज में कोई (मायावती) अपनी आवाज उठा रहा है। हम शुरू से जनता की आवाज उठा रहे हैं।’
मायावती ने ऐसा ट्विट क्यों किया?
प्रमोद कहते हैं, ‘पिछले कई ट्विट्स में मायावती सपा पर निशाना साध चुकी हैं। भाजपा के खिलाफ होने वाले ट्विट्स के शब्द काफी सॉफ्ट रहे हैं। मायावती अभी मुस्लिम वोटबैंक को अपने साथ करने की कोशिश में जुटी हैं। ऐसे में भाजपा के खिलाफ सॉफ्ट और सपा के खिलाफ हार्ड ट्विट्स से उन्हें नुकसान उठाना पड़ सकता है। आज के ट्विट्स से वह मुस्लिम व अपने अन्य वोटर्स को ये संदेश देना चाहती हैं कि वह भाजपा सरकार के खिलाफ हैं और जनता के मुद्दों को ही प्राथमिकता देती हैं।’