Uniform Civil Code: ‘कोर्ट संसद को कानून बनाने का निर्देश नहीं दे सकता’,

Modi Govt Affidavit on UCC:  सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में कहा, ये एक नीतिगत मसला है, जिस पर फैसला लेना संसद का काम है. कोर्ट इस बारे में संसद को कानून बनाने के लिए निर्देश नहीं दे सकता.

What is Uniform Civil Code: केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दायर कर यूनिफॉर्म सिविल कोड लागू करने को लेकर दायर याचिकाओं का विरोध किया है. सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में कहा, ये एक नीतिगत मसला है, जिस पर फैसला लेना संसद का काम है. कोर्ट इस बारे में संसद को कानून बनाने के लिए निर्देश नहीं दे सकता. संसद के पास किसी मसले पर कानून लाने का संप्रभु अधिकार है. किसी बाहरी अथॉरिटी उसे कानून बनाने के लिए निर्देश नहीं दे सकती. लिहाजा देश में समान नागरिक संहिता को लेकर सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिकाओं को खारिज कर दिया जाना चाहिए.

इस मामले की संजीदगी को देखते हुए विभिन्न धर्मों के पर्सनल लॉ के अध्ययन की जरूरत है. इसी वजह से केंद्र सरकार के अनुरोध पर 21वें लॉ कमीशन ने विभिन्न स्टेकहोल्डर्स से राय मंगवा कर पर्सनल लॉ का अध्ययन किया और रिफॉर्म ऑफ फैमिली लॉ के नाम से एक  कंसल्टेशन पेपर अपनी वेबसाइट पर अपलोड किया है.

21वें लॉ कमीशन का कार्यकाल चूंकि खत्म हो चुका है. इसलिए नए 22वें लॉ कमीशन के सदस्यों की नियुक्ति के बाद ये मसला उनके सामने रखा गया. लॉ कमीशन की रिपोर्ट के बाद सरकार तमाम स्टेक होल्डर्स से सलाह-मशविरा करेगी. BJP नेता अश्विनी उपाध्याय की ओर से दायर याचिका में शादी, तलाक, गुजारा भत्ता, उत्तराधिकार के लिए सभी धर्मों के लिए एक समान कानून लागू करने की मांग की गई है.

सरकार का हलफनामा यूनिफॉर्म सिविल कोड को लेकर दायर याचिकाओं और उस बारे में कोर्ट के दखल देने के खिलाफ तो है, पर यूनिफॉर्म सिविल कोड के खिलाफ भी है, ऐसा नहीं कहा जा सकता है. हलफनामे में एक जगह आर्टिकल 44 के तहत नीति निर्देशक तत्वों का हवाला देते हुए सरकार ने कहा है कि विभिन्न धर्मों/ समुदायों के कानून देश की एकता के खिलाफ हैं. इस लिहाज से सरकार ने लॉ कमीशन और अपने स्तर पर विभिन्न स्टेक होल्डर्स से रायशुमारी और अलग अलग धर्मों के पर्सनल लॉ के अध्ययन की जरूरत बताई है.

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