थरूर vs खरगे: 22 साल बाद कांग्रेस के लिए बड़ा दिन,

137 साल के इतिहास में कांग्रेस पार्टी में छठवीं बार चुनाव हो रहा है। 19 अक्टूबर को 24 साल बाद गैर-गांधी कांग्रेस अध्यक्ष मिलना तय है। पार्टी के वरिष्ठ नेता मल्लिकार्जुन खरगे और शशि थरूर अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी अध्यक्ष पद के लिए आमने-सामने हैं। गांधी परिवार इस चुनाव से दूरी बनाए हुए हैं।

नई दिल्ली: कांग्रेस पार्टी के लिए आज महत्वपूर्ण दिन है। अगले पार्टी अध्यक्ष के चुनाव के लिए सुबह 10 बजे से वोटिंग शुरू हो गई है। पी. चिदंबरम ने सबसे पहले वोट डाला। प्रदेश कांग्रेस समितियों के 9,000 से ज्यादा डेलिगेट्स (निर्वाचित मंडल के सदस्य) मतदान करेंगे। कांग्रेस के अगले बॉस का चुनाव (Congress Polls) कई मायनों में खास है। दो दशक बाद अध्यक्ष पद के लिए चुनाव कराए जा रहे हैं और 1997 के बाद पहली बार कांग्रेस चीफ गांधी परिवार से नहीं होगा। इस चुनाव में सीधा मुकाबला संयुक्त राष्ट्र में राजनयिक रहे सांसद शशि थरूर (Shashi Tharoor) और गांधी परिवार के बेहद खास माने जाने वाले दिग्गज मल्लिकार्जुन खरगे (Mallikarjun Kharge) के बीच है। पार्टी ने साफ कर दिया है कि बैलट पेपर में दो नाम अंकित होंगे। आइए 8 पॉइंट्स में समझते हैं कि कांग्रेस का अगला अध्यक्ष कैसे चुना जाएगा और यह चुनाव पार्टी के लिए क्यों महत्वपूर्ण है।

बैलट पेपर पर टेंशन दूर

1. कांग्रेस पार्टी ने मतदान से कुछ घंटे पहले पूरी प्रक्रिया स्पष्ट की। बैलट पेपर में दो उम्मीदवार के नाम छपे होंगे। डेलिगेट्स जिस उम्मीदवार को वोट करना चाहते हैं, उसके नाम के आगे टिक मार्क (✓) लगाना होगा। कोई अन्य निशान या नंबर लिखने पर वोट गलत माना जाएगा। दरअसल, कांग्रेस अध्यक्ष पद के उम्मीदवार शशि थरूर की टीम ने पार्टी के केंद्रीय चुनाव प्राधिकरण अध्यक्ष के साथ मतपत्रों पर पसंद के उम्मीदवार के नाम के आगे ‘1’ लिखने का विषय उठाते हुए कहा था कि इससे भ्रम पैदा हो सकता है। इसके बाद मतदाताओं को पसंदीदा प्रत्याशी के नाम के आगे ‘टिक’ का निशान लगाने को कहा गया है। मतपत्र में मल्लिकार्जुन खरगे का नाम क्रमांक ‘1’ पर और थरूर का नंबर ‘2’ पर है। चुनाव प्राधिकरण के अध्यक्ष मधुसूदन मिस्त्री ने तय किया है कि पसंद के उम्मीदवार के नाम के आगे ‘1’ की जगह टिक का निशान मान्य होगा।

67 बूथों पर वोटिंग
2. कांग्रेस अध्यक्ष के लिए वोटिंग सुबह 10 बजे से प्रदेश कांग्रेस के सभी दफ्तरों में शाम 4 बजे तक होगी। प्रदेश कांग्रेस के 67 बूथों पर आज वोटिंग होगी। यूपी में सबसे ज्यादा 6 बूथों पर वोटिंग होगी। सोनिया गांधी और मनमोहन सिंह दिल्ली में वोट डालेंगे। राहुल गांधी कर्नाटक में और थरूर केरल में मतदान करेंगे। भारत जोड़ो यात्रा निकाल रहे राहुल गांधी के साथ 40 लोग वोट करने वाले हैं। अपना वोट डालने के बाद मतदाता बैलट पेपर को मोड़कर मत पेटिका में डालेंगे। कांग्रेस अध्यक्ष चुनाव के नतीजे 19 अक्टूबर को आएंगे।

1997 के बाद आया है मौका
3. बीते तीन दशक में दो बार कांग्रेस अध्यक्ष का चुनाव हुआ है। 1997 में सीताराम केसरी के सामने शरद पवार और राजेश पायलट मैदान में थे और केसरी को जीत मिली थी। केसरी को जहां 6224 वोट मिले तो वहीं पवार को 882 और पायलट को 354 वोट मिले थे। दूसरी बार वोटिंग 2000 में हुई। तब सोनिया गांधी को कांग्रेस के दिग्गज नेता जीतेंद्र प्रसाद ने चुनौती दी थी। सोनिया गांधी को 7448 वोट मिले, जबकि प्रसाद को मात्र 94 वोट ही मिल सके थे। कांग्रेस पार्टी का इतिहास देखें तो अध्यक्ष पद लंबे समय तक गांधी-नेहरू परिवार के पास ही रहा है और निर्विरोध तरीके से सहमति के आधार पर अध्यक्ष का फैसला होता रहा है।

4. 24 साल बाद कांग्रेस का नया अध्यक्ष गांधी परिवार से नहीं होगा। भले ही खरगे vs थरूर का मुकाबला हो, पर अलग-अलग कारणों से खरगे को प्रबल दावेदार माना जा रहा है। उधर, कांग्रेस चुनाव प्राधिकरण के चेयरमैन मिस्त्री ने बताया है कि वोटिंग सीक्रेट बैलट के जरिए होगी और सभी बूथों से वोट को मिक्स किया जाएगा और इसके बाद 10 अक्टूबर को पार्टी मुख्यालय में काउंटिंग होगी। वैसे, इस चुनाव की घोषणा के बाद से ही विवाद बना रहा। खरगे को आधिकारिक उम्मीदवार मानने की अटकलें लगाई गईं, गांधी परिवार के समर्थन की अफवाह उड़ी, खुलेआम दिग्गज सपोर्ट में उतरे, आखिर में मतपत्र में 1-2 लिखने पर विवाद हुआ। खैर, आज वोटिंग का दिन आ गया है।

5. कांग्रेस अध्यक्ष को चुनने के नियम की बात करें तो इसकी शुरुआत सदस्यता अभियान से होती है। इसके बाद बूथ और ब्लॉक कमेटी, जिला कमेटी बनती है। संविधान के मुताबिक इन कमेटियों का गठन भी चुनाव के आधार पर होना चाहिए। ब्लॉक कमिटी -बूथ कमिटी मिलकर प्रदेश कांग्रेस कमिटी के प्रतिनिधि या PCC डेलिगेट्स चुनते हैं। हर ब्लॉक से एक प्रतिनिधि चुनता है। हर 8 पीसीसी पर एक केंद्रीय कांग्रेस कमिटी प्रतिनिधि या एआईसीसी डेलिगेट चुना जाता है। एआईसीसी और पीसीसी का अनुपात एक और आठ का होता है। पीसीसी डेलिगेट्स के वोटों से ही प्रदेश कांग्रेस कमिटी का अध्यक्ष और पार्टी अध्यक्ष चुना जाता है। जबकि एआईसीसी के प्रतिनिधियों के वोटिंग से कांग्रेस वर्किंग कमिटी चुनी जाती है। 2017 में हुए संगठन चुनावों के दौरान पीसीसी की तादाद 9000 थी तो एआईसीसी डेलिगेट्स की संख्या 1500 थी।

6. कांग्रेस अध्यक्ष का निर्वाचन होने के बाद प्रक्रिया यह है कि हर नया अध्यक्ष नई CWC (कांग्रेस कार्यसमिति) बनाता है, जिसमें 12 सदस्य चुनकर आते हैं। वह 11 सदस्यों को मनोनीत करते हैं। हालांकि आमतौर पर ऐसा देखा जाता है कि अध्यक्ष ही CWC सदस्य चुनता है। इस कमेटी में अध्यक्ष के अलावा, संसद में पार्टी के नेता और अन्य सदस्य होते हैं।

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