बिहार में जातिगत जनगणना के खिलाफ दाखिल याचिका पर सुप्रीम कोर्ट सुनवाई को तैयार

पटना. बिहार में जातिगत जनगणना का मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया है. जातिगत जनगणना कराने के बिहार सरकार के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई है. जातिगत जनगणना के खिलाफ दायर याचिका में 6 जून को राज्य सरकार द्वारा जारी नोटिफिकेशन को रद्द करने की मांग की गई है. बिहार निवासी अखिलेश कुमार ने ये याचिका दाखिल की है. सुप्रीम कोर्ट मामले की सुनवाई 20 जनवरी को करेगा.

याचिका में बिहार सरकार को जातिगत जनगणना से रोकने की भी मांग है. इसमें कहा गया है कि बिहार राज्य की अधिसूचना और फैसला अवैध, मनमाना, तर्कहीन, असंवैधानिक और कानून के अधिकार के बिना है. भारत का संविधान वर्ण और जाति के आधार पर भेदभाव पर रोक लगाता है. जाति संघर्ष और नस्लीय संघर्ष को खत्म करने के लिए राज्य संवैधानिक दायित्व के अधीन है.

अखिलेश कुमार ने याचिका में सवाल उठाया है कि क्या भारत के संविधान ने राज्य सरकार को ये अधिकार दिया है, जिसके तहत वो जातीय आधार पर जनगणना कर सकती है?

सुप्रीम कोर्ट के सामने इस याचिका में सात सवाल उठाए गए हैं 

  1. बिहार सरकार द्वारा जातिगत जनगणना कराना क्‍या संविधान के मूल ढांचे का उल्लंघन है?
  2. क्या भारत का संविधान राज्य सरकार को जातिगत जनगणना कराए जाने का अधिकार देता है?
  3. क्या 6 जून को बिहार सरकार के उपसचिव द्वारा जारी अधिसूचना जनगणना कानून 1948 के खिलाफ है?
  4. क्या कानून के अभाव में जातिगत जनगणना की अधिसूचना, राज्य को कानूनन अनुमति देता है?
  5. क्या राज्य सरकार का जातिगत जनगणना कराने का फैसला सभी राजनीतिक दलों द्वारा एकमत से लिया गया है?
  6. क्या बिहार में जातिगत जनगणना के लिए राजनीतिक दलों का निर्णय सरकार पर बाध्यकारी है?
  7. क्या बिहार सरकार का 6 जून का नोटिफिकेशन सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ का अभिराम सिंह मामले में दिए गए फैसले के खिलाफ है?
Spread the love

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *