Qutub Minar Case: कुतुब मीनार पर मालिकाना हक का दावा करने वाला हस्तक्षेप आवेदन खारिज, कोर्ट ने दिए आदेश

हस्तक्षेप आवेदन में आगरा से यमुना और गंगा नदी के बीच मेरठ, अलीगढ़, बुलंदशहर और गुड़गांव वाले क्षेत्रों पर अधिकार की मांग की गई थी। वहीं, कुतुब मीनार परिसर के अंदर हिंदुओं और जैनियों के लिए पूजा के अधिकार की मांग करने वाली अपील को लेकर कोर्ट ने कहा कि इस मामले की सुनवाई 19 अक्टूबर को होगी।

दिल्ली की साकेत कोर्ट ने मंगलवार को कुतुब मीनार पर मालिकाना हक का दावा करने वाले हस्तक्षेप आवेदन को खारिज कर दिया है। आवेदन में आगरा से यमुना और गंगा नदी के बीच मेरठ, अलीगढ़, बुलंदशहर और गुड़गांव वाले क्षेत्रों पर अधिकार की मांग की गई थी। ये आवेदन कुतुब मीनार परिसर में कथित मंदिरों के जीर्णोद्धार की मांग करने वाली अपीलों के संबंध में दायर किया गया था। वहीं, कुतुब मीनार परिसर के अंदर हिंदुओं और जैनियों के लिए पूजा के अधिकार की मांग करने वाली अपील को लेकर कोर्ट ने कहा कि इस मामले की सुनवाई 19 अक्टूबर को होगी।

इससे पहले 13 सितंबर को अदालत की कार्यवाही में एएसआई ने तर्क दिया था कि हस्तक्षेप आवेदन इस कारण से खारिज करने योग्य है कि आवेदनकर्ता महेंद्र सिंह ने विशेष रूप से अपील में किसी भी अधिकार का दावा नहीं किया है और उनके पास पक्ष के रूप में पक्षकार होने का कोई अधिकार नहीं है। एएसआई ने आगे तर्क दिया था कि सिंह ने बड़े और विशाल क्षेत्रों के अधिकारों का दावा किया है।

एसआई ने दावा किया था कि पिछले साल दिल्ली उच्च न्यायालय ने सुल्ताना बेगम द्वारा दायर एक समान याचिका को खारिज कर दिया गया था, जिसमें लाल किले पर अपना हक होने का दावा किया गया था। उसमें उन्होंने खुद को अंतिम मुगल सम्राट बहादुर शाह जफर द्वितीय के परपोते की विधवा होने का दावा किया था।

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