बिहार में बोले अमित शाह- लालू की गोद में बैठ गए नीतीश 

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने बिहार के पूर्णिया में ‘जन भावना महासभा’ को संबोधित किया है. उन्होंने कहा कि आज राष्ट्रकवि रामधारी सिंह दिनकर की जयंती पर मैं उनको प्रणाम करता हूं. दिनकर जी की कविताओं ने आजादी के आंदोलन को धार दी साथ ही उनकी लेखनी ने भारतीय संस्कृति को भी मजबूती प्रदान करने का काम किया. अमित शाह ने कहा कि आज मैं जब बिहार में आया हूं तब लालू और नीतीश की जोड़ी को पेट में दर्द हो रहा है. वो कह रहे हैं कि बिहार में झगड़ा लगाने आए हैं, कुछ करके जाएंगे. लालू जी झगड़ा लगाने के लिए मेरी जरूरत नहीं है, आप झगड़ा लगाने के लिए पर्याप्त हो, आपने पूरा जीवन यही काम किया है.

अमित शाह ने कहा कि नीतीश जी, लालू जी की गोद में बैठ गए हैं. अब यहां डर का माहौल बन गया है, लेकिन मैं कहना चाहता हूं कि किसी को डरने की जरूरत नहीं है. आपके साथ नरेंद्र मोदी की सरकार है. आज भाजपा को धोखा देकर लालू की गोद में बैठकर नीतीश ने स्वार्थ और सत्ता की राजनीति का जो परिचय दिया है उसके खिलाफ बिगुज फूंकने की शुरुआत भी यही बिहार की भूमि से शुरुआत होगी.

उन्होंने कहा कि बिहार की भूमि परिवर्तन का केंद्र रही है. अंग्रेजों के खिलाफ स्वतंत्रता का आंदोलन हो या लोकतंत्र के खिलाफ जो इंदिरा जी ने आपातकाल लगाया तब जय प्रकाश नारायण जी का आंदोलन हो, ये बिहार की भूमि से ही शुरू हुआ है. हम स्वार्थ और सत्ता की राजनीति की जगह सेवा और विकास की राजनीति के पक्षधर हैं. प्रधानमंत्री बनने के लिए नीतीश बाबू ने पीठ में छुरा भोंक कर आज आरजेडी और कांग्रेस की गोद में बैठने का काम किया.

शाह ने आगे कहा कि आज मैं बिहार की इस विराट सभा से लालू जी और नीतीश जी दोनों से कहना चाहता हूं कि आप जो ये दल-बदल बार-बार करते हो, तो ये धोखा किसी पार्टी के साथ नहीं है, बल्कि ये धोखा बिहार की जनता के साथ है. नीतीश जी, 2014 में भी आपने यही किया था,  ना घर के रहे थे ना घाट के. लोकसभा चुनाव 2024 आने दीजिए, आपकी इस जोड़ी को बिहार की जनता सुपड़ा साफ कर देगी. 2025 में भी यहां भाजपा पूर्ण बहुमत की सरकार बनाएगी.

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गृह मंत्री ने कहा कि वो राजद छोड़कर भाजपा के साथ भी आ सकते हैं. नीतीश की एक ही नीति है- कुर्सी मेरी अक्षुण्य रहनी चाहिए. नीतीश कुमार कोई राजनीतिक विचारधारा के पक्षधर नहीं हैं. नीतीश समाजवाद छोड़कर लालू के साथ भी जा सकते हैं, जातिवादी राजनीति कर सकते हैं. नीतीश समाजवाद छोड़कर वामपंथियों, कांग्रेस के साथ भी बैठ सकते हैं. नीतीश बाबू, भारत की जनता अब जागरूक हो चुकी है. स्वार्थ से और सत्ता की कुटिल राजनीति से प्रधानमंत्री नहीं बना सा सकता. विकास के काम करने से, अपनी विचारधारा के प्रति समर्पित रहने से और देश की सरक्षा को सुनिश्चित करने से ही देश की जनता प्रधानमंत्री बनाती है.

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