महबूबा मुफ्ती ने ज्ञानवापी मामले में कोर्ट के फैसले पर बिगड़े बोल ‘ऐसे फैसले दंगे को भड़का सकते हैं’
महबूबा मुफ्ती से पहले ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने ज्ञानवापी श्रृंगार गौरी मामले से जुड़े अदालत के फैसले को निराशाजनक करार देते हुए कहा कि केंद्र सरकार 1991 के उपासना स्थल कानून का क्रियान्वयन सुनिश्चित करे.
उत्तर प्रदेश के वाराणसी की जिला अदालत ने कल सोमवार को ज्ञानवापी शृंगार गौरी मामले की विचारणीयता पर हिंदू पक्ष के हक में फैसला सुनाया तो इसे मुस्लिम पक्ष ने खारिज कर दिया. अब इस मसले पर जम्मू-कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने बेहद तल्ख अंदाज में टिप्पणी करते हुए कहा कि ऐसे फैसले दंगे को भड़का सकते हैं. साथ ही यह भी कहा कि कोर्ट अपने ही फैसले को नहीं मान रही.
फैसले पर निराशा जताते हुए जम्मू-कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री और पीडीपी प्रमुख महबूबा मुफ्ती ने कहा कि पूजा स्थल अधिनियम के बावजूद ज्ञानवापी मामले पर कोर्ट का फैसला दंगा भड़काएगा और ऐसा सांप्रदायिक माहौल पैदा होगा जो भारतीय जनता पार्टी (BJP) का एजेंडा है. यह एक खेदजनक स्थिति है कि कोर्ट अपने खुद के फैसलों का भी पालन नहीं करती हैं.
Court ruling on Gyanvapi despite Places of Worship Act will lead to rabble rousing & create a communal atmosphere which ironically plays into BJP’s agenda.Its a sorry state of affairs that Courts don’t follow their own rulings.
— Mehbooba Mufti (@MehboobaMufti) September 13, 2022
इसी तरह ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने ज्ञानवापी श्रृंगार गौरी मामले से जुड़े अदालत के फैसले को निराशाजनक करार देते हुए कहा कि केंद्र सरकार 1991 के उपासना स्थल कानून का क्रियान्वयन सुनिश्चित करे. बोर्ड के महासचिव मौलाना खालिद सैफुल्लाह रहमानी ने एक बयान में कहा, “ज्ञानवापी के संबंध में जिला अदालत का प्रारंभिक निर्णय निराशाजनक और दुःखदायी है.”
उनके अनुसार, “1991 में बाबरी मस्जिद विवाद के बीच संसद ने मंजूरी दी थी कि बाबरी मस्जिद को छोड़कर सभी धार्मिक स्थल 1947 में जिस स्थिति में थे, उन्हें यथास्थिति में रखा जाएगा और इसके खिलाफ कोई विवाद मान्य नहीं होगा. फिर बाबरी मस्जिद मामले के फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने 1991 के कानून की पुष्टि की.”
इससे पहले जिला न्यायाधीश एके विश्वेश ने अंजुमन इंतेजामिया मस्जिद समिति की याचिका को खारिज कर दिया, जिसमें मामले की विचारणीयता पर सवाल उठाया गया था. मुस्लिम पक्ष ने अदालत के इस फैसले को हाई कोर्ट में चुनौती देने की घोषणा की है. सके साथ ही काशी विश्वनाथ मंदिर-ज्ञानवापी मस्जिद विवाद एक बार फिर सुर्खियों में आ गया है.
वहीं, इलाहाबाद हाई कोर्ट ने वाराणसी के काशी विश्वनाथ-ज्ञानवापी मस्जिद मामले में सोमवार को अगली सुनवाई की तारीख 28 सितंबर को निर्धारित की है.
10 मिनट में 26 पन्नों का आदेश
हिंदू पक्ष के वकील विष्णु जैन ने बताया कि जिला न्यायाधीश एके विश्वेश ने मामले की विचारणीयता पर सवाल उठाने वाली याचिका को खारिज करते हुए सुनवाई जारी रखने का निर्णय किया है. अदालत में मौजूद एक वकील ने बताया कि जिला न्यायाधीश ने दोनों पक्षों के वादियों और उनके अधिवक्ताओं समेत 32 लोगों की मौजूदगी में 26 पन्नों का आदेश 10 मिनट के अंदर पढ़कर सुनाया.अदालत ने गत 24 अगस्त को इस मामले में अपना आदेश 12 सितंबर तक के लिए सुरक्षित रख लिया था.
मुस्लिम पक्ष के वकील मेराजुद्दीन सिद्दीकी ने कहा कि जिला अदालत के इस निर्णय को हाई कोर्ट में चुनौती दी जाएगी.
स्वागत योग्य निर्णयः मंत्री अनुराग ठाकुर
केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर ने सोमवार को ज्ञानवापी मस्जिद मामले में अदालत के फैसले का स्वागत किया. उन्होंने ठाणे में संवाददाताओं से कहा, “यह एक स्वागत योग्य निर्णय है. हालांकि, अब सभी को शांत रहने की जरूरत है और अदालतों को अपना काम करने देना चाहिए.” इस मामले में पांच महिलाओं ने याचिका दायर कर हिंदू देवी-देवताओं की दैनिक पूजा की अनुमति मांगी थी, जिनके विग्रह ज्ञानवापी मस्जिद की बाहरी दीवार पर स्थित हैं.
अंजुमन इंतेजामिया मस्जिद समिति ने ज्ञानवापी मस्जिद को वक्फ संपत्ति बताते हुए कहा था कि मामला सुनवाई योग्य नहीं है. मामले में अगली सुनवाई 22 सितंबर को होगी.
जिला न्यायाधीश ने अपने आदेश में कहा, “दलीलों और विश्लेषण के मद्देनजर मैं इस निष्कर्ष पर पहुंचा हूं कि यह मामला उपासना स्थल (विशेष प्रावधान) अधिनियम 1991, वक्फ अधिनियम, 1995 और उप्र श्री काशी विश्वनाथ मंदिर अधिनियम 1983 तथा बचाव पक्ष संख्या 4 (अंजुमन इंतजामिया) द्वारा दाखिल याचिका 35 सी के तहत वर्जित नहीं है, लिहाजा इसे निरस्त किया जाता है.” अदालत के यह फैसला सुनाने के बाद कुछ लोग सड़कों पर आ गये और मिठाइयां बांटकर खुशियां मनायीं.
यह मामला 20 अक्टूबर को सुप्रीम कोर्ट के समक्ष भी सुनवाई के लिए आ सकता है, जिसने जुलाई में मामले की सुनवाई के दौरान यह तारीख तय की थी. सुप्रीम कोर्ट ने गत 20 मई को ज्ञानवापी मस्जिद को लेकर हिंदू श्रद्धालुओं की याचिका को मामले की जटिलता के मद्देनजर वाराणसी के सिविल न्यायाधीश (सीनियर डिवीजन) की अदालत से जिला न्यायाधीश, वाराणसी की अदालत में हस्तांतरित कर दिया था.