एच3एन2 इन्फ्लूएंजा के बढ़ते मामलों को देखते हुए प्रदेश में भी स्वास्थ्य विभाग ने अलर्ट जारी कर दिया है। हर जिला अस्पताल में 10 बेड का आइसोलेशन वार्ड बनेगा।
एच3एन2 इन्फ्लूएंजा के बढ़ते मामलों को देखते हुए प्रदेश में भी स्वास्थ्य विभाग ने अलर्ट जारी कर दिया है। हर जिले में इसके लिए अलग नोडल अधिकारी नामित किया जाएगा। हर जिला अस्पताल में 10 बेड का आइसोलेशन वार्ड बनेगा। ओपीडी में भी इन्फ्लूएंजा के संदिग्ध मरीजों के लिए अलग कक्ष होगा, ताकि उन्हें अन्य रोगियों के संपर्क में आने से रोका जा सके। बच्चों, बुजुर्गों व गंभीर बीमारी वालों को लेकर विशेष सतर्कता बरतने को कहा गया है।
चिकित्सा स्वास्थ्य महानिदेशक (डीजी) डा. लिली सिंह की ओर से सोमवार को इन्फ्लूएंजा को लेकर विस्तृत दिशा-निर्देश सभी जिलों को जारी कर दिए गए। डीजी की अध्यक्षता में प्रदेश स्तर पर गठित टास्क फोर्स लगातार हालात पर नजर रखेगी। रेपिड रेस्पांस टीमों को भी सक्रिय किया जाएगा। रोगियों के चिन्हीकरण, पंजीकरण, जांच व दवा वितरण के लिए अस्पतालों की ओपीडी में इन्फ्लूएंजा के मरीजों के लिए अलग से व्यवस्था की जाएगी। साथ ही क्या करें और क्या न करें, संबंधी निर्देश भी वहां लिखवाए जाएंगे। इन निर्देशों का प्रचार-प्रसार भी विभिन्न माध्यमों से किया जाएगा। स्कूलों में नामित नोडल अधिकारी के माध्यम से बच्चों को जागरूक किया जाएगा।
मॉस्क का प्रयोग और कोविड प्रोटोकाल का करें पालन
बीमारी की रोकथाम के लिए निजी अस्पतालों और निजी संस्थाओं का भी सहयोग जरूरत पड़ने पर लिया जाएगा। रोगी व्यक्ति द्वारा संक्रमण का फैलाव रोकने को ट्रिपल लेयर मॉस्क का प्रयोग किया जाएगा। रोगी का इलाज करने वालों और उसके संपर्क में आने वालों को भी ट्रिपल लेयर या एन-95 मॉस्क लगाने को कहा गया है। कोविड प्रोटोकॉल का पालन करते हुए दूरी बनाए रखने, हाथों की सफाई और भीड़ वाले स्थानों से दूरी बनाने को कहा गया है।
उच्च जोखिम समूह का होगा टीकाकरण
इन्फ्लूएंजा से बचाव के लिए सीजनल इन्फ्लूएंजा का टीका प्रभावी है। इन्फ्लूएंजा के रोगियों के संपर्क में आने वाले सभी स्वास्थ्य कर्मियों, वायरोलॉजिकल प्रयोगशाला में संदिग्ध नमूनों की जांच करने वालों, उच्च जोखिम वर्ग के रोगियों की देखभाल व उपचार में लगे व्यक्तियों, रेपिड रेस्पांस टीमों के सदस्य, एच3एन2 इन्फ्लूएंजा के मरीजों को लाने-ले जाने वाले एंबुलेंस चालक व अन्य स्टाफ का टीकाकरण कराने के लिए कहा गया है। इसके अलावा उच्च जोखिम समूह में शामिल गर्भवती महिलाओं, गंभीर बीमारियों से पीड़ित लोगों, दीर्घकालिक रोगों से ग्रसित बच्चों के अलावा 65 वर्ष से अधिक आयु वाले बुजुर्ग और 6 माह से 8 साल तक के बच्चों का टीकाकरण कराने के निर्देश दिए गए हैं।