रामपुर में मौजूद है गांधी जी की समाधि और लोटस टैंपल, ऐतिहासिक इमारतें करती हैं चकाचौंध, जानें पांच घूमने वाली जगह 

नवाब फैजउल्लाह खान के बसाए शहर रामपुर अपने शाही अंदाज के लिए जाना जाता है। मुरादाबाद और बरेली के बीच बसा यह शहर बेहद लाजवाज है। नवाब फैजउल्लाह खान ने 1774 से लेकर 1794 तक यहां शासन किया था।

नवाब फैजउल्लाह खान के बसाए शहर रामपुर अपने शाही अंदाज के लिए जाना जाता है। मुरादाबाद और बरेली के बीच बसा यह शहर बेहद लाजवाज है। नवाब फैजउल्लाह खान ने 1774 से लेकर 1794 तक यहां शासन किया था। यहां गांधी स्मृति से लेकर लोटस टैंपल तक देखने को मिल जाएगा। इसके अलावा यहां ताजमहल की भी आकृति मौजूद है। नवाबों का शहर कहे जाने वाले रामपुर के आसपास तमाम ऐसी कई इमारतें मिल जाएंगी जो ऐतिहासिक हैं। इन इमारतों को रामपुर के नवाब ने बनवाया था। आज हम आपको कुछ ऐसी ही इमारतों के बारे में बताएंगे और यहां आने के लिए क्या साधन हैं इसकी भी विस्तार से जानकारी देंगे।  

राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की समाधि दिल्ली के राजघाट के अलावा रामपुर में भी है। रामपुर के अंतिम शासक नवाब रजा अली खां 11 फरवरी 1948 को बापू की अस्थियां रामपुर लाए थे। कुछ अस्थियों को कोसी नदी में विसर्जित कर दिया गया था। शेष अस्थियों को चांदी के कलश में रखकर दफन कर दिया गया था। यही स्थल गांधी समाधि है। 

पहुंचने का साधन: रामपुर रेलवे स्टेशन और रोडवेज बस स्टैंड से कोई चार किमी की दूरी पर स्थित है। मुरादाबाद दिशा से निजी वाहन से मिनी बाईपास होते हुए पर्यटन स्थल पहुंचा जा सकता है। वहीं रामपुर आंबेडकर पार्क, रोडवेज, रेलवे स्टेशन से आटो के माध्यम से भी यहां पहुंच सकते हैं।

सात अक्टूबर 1774 में रामपुर के पहले नवाब फैज़ुल्लाह खान द्वारा रामपुर में किले की नींव रखी थी। बाद में नवाब हामिद अली खान ने ब्रिटिश चीफ इंजीनियर डब्लू. सी. राइट की सहायता से पूरे रामपुर किले को नया रंग रूप दिया। जीर्णेद्धार का यह काम 1825 से 1905 तक पूरा हुआ था। 15 मई 1949 को मर्जर एग्रीमेंट पर नवाब रजा अली खां के हस्ताक्षर के बाद रामपुर का यह किला राष्ट्रीय धरोहर बन गया।

पहुंचने का साधन: अंबेडकर पार्क से गांधी समाधि होते हुए स्वार मार्ग स्थित तोपखाना गेट पहुंचा जाएगा, वहां से कस्तूरबा गांधी मॉल होते हुए किला पहुंचा जा सकता है। यहां पहुंचने के लिए निजी वाहनों के अलावा सिर्फ आटो ही माध्यम है। जो रामपुर के रेलवे स्टेशन, रोडवेज, बिलासपुर गेट आदि से आसानी से मिल जाते हैं।

रामपुर के प्रथम नवाब फैजुल्ला खान ने 18 वीं शताब्दी के आखिरी दशकों में प्राचीन पांडुलिपियों और इस्लामी सुलेख के लघु नमूने के अपने निजी संग्रह से पुस्तकालय की स्थापना की। यह एशिया का सबसे बड़ा पुस्तकालय माना जाता है। संस्कृति मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा संचालित इस लाइब्रेरी में ऐतिहासिक दस्तावेजों, इस्लामी सुलेख के नमूने, लघु चित्र, खगोलीय उपकरण और अरबी और फारसी भाषा में दुर्लभ सचित्र कार्यो का बहुत दुर्लभ और मूल्यवान संग्रह है। रामपुर की रज़ा पुस्तकालय में संस्कृत, हिंदी, उर्दू, पश्तो अन्य महत्वपूर्ण पुस्तकें दस्तावेजों के अलावा इस्लामी धर्म ग्रंथ कुरान ए पाक के पहले अनुवाद की मूल पांडुलिपि है।

पहुंचने का साधन: यह रामपुर किला परिसर में ही स्थित है। अत: अंबेडकर पार्क से गांधी समाधि होते हुए स्वार मार्ग स्थित तोपखाना गेट पहुंचा जाएगा, वहां से कस्तूरबा गांधी मॉल होते हुए किला पहुंचा जा सकता है। यहां पहुंचने के लिए निजी वाहनों के अलावा सिर्फ आटो ही माध्यम है। जो रामपुर के रेलवे स्टेशन, रोडवेज, बिलासपुर गेट आदि से आसानी से मिल जाते हैं।

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