मनी लॉन्ड्रिंग मामले में NSE के पूर्व सीईओ रवि नारायण गिरफ्तार
प्रवर्तन निदेशालय ने नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (NSE) के पूर्व प्रमुख रवि नारायण को गिरफ्तार किया है। ये गिरफ़्तारी एक्सचेंज से जुड़े को-लोकेशन के मामले में हुई है। रिपोर्ट्स के अनुसार ईडी अधिकारियों द्वारा की गई जांच के दौरान रवि नारायण सहयोग नहीं कर रहे थे और उनके खिलाफ सबूतों के आधार पर उन्हें मंगलवार की शाम को गिरफ्तार कर लिया गया था।
को-लोकेशन सेवा के तहत ब्रोकर्स को उनका सर्वर एक्सचेंज परिसर में लगाने की अनुमति दी जाती है। इसके जरिए ब्रोकर्स शेयर बाजार में हो रही हलचल का पता लगाते हैं और फिर लाभ उठाते हैं। एजेंसी की जांच में सामने आया कि कई ब्रोकर्स ने इसमें धांधली की और करोड़ों रुपये अवैध तरीके से कमाए। जांच में ये भी सामने आया है कि एल्गोरिदम में छेड़छाड़ भी की गई थी। जब ये स्कैम हुआ उस समय चित्रा रामकृष्ण भी NSE के विभिन्न पदों पर काम कर चुकी थीं जिनमें से एक सीईओ का पद भी था। तब तत्कालीन मुख्य कार्यकारी अधिकारी रवि नारायण वर्ष 1994 से 2013 के बीच विभिन्न पदों पर एनएसई से जुड़े रहे।
प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट के तहत दर्ज है मामला
इससे पहले मुंबई के पूर्व पुलिस कमिश्नर संजय पांडे को ईडी ने गिरफ्तार किया था। इस मामले में ईडी ने एक अन्य एनएसई प्रमुख चित्रा रामकृष्ण से भी पूछताछ की थी। वह पहले से ही जांच एजेंसी की हिरासत में है। इसी वर्ष जुलाई में ED ने प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट के तहत रवि नारायण, पूर्व-एनएसई प्रमुख चित्रा रामकृष्ण और मुंबई के पूर्व पुलिस कमिश्नर संजय पांडे पर मामला दर्ज किया था। इसके अलावा इन तीनों के खिलाफ 2009 और 2017 के बीच एनएसई कर्मचारियों के कथित तौर पर फोन टैप करने के आरोप में भी एजेंसी द्वारा मामला दर्ज किया गया था।
क्या है फोन टैपिंग मामला?
तीनों पर आरोप है कि 2009 और 2017 के बीच NSE के कई कर्मचारियों के फोन टैप किये गए और चित्रा रामकृष्ण ने इसमें अहम भूमिका निभाई थी। मुंबई के पूर्व पुलिस कमिश्नर संजय पांडे की कंपनी iSec Services की मदद से कर्मचारियों के फोन टैप किये गए थे। इसके लिए उन्हें 4.45 करोड़ रुपये मिले थे। इसी मामले में ईडी पूछताछ के दौरान रवि नारायण ने कोई सहयोग नहीं किया जबकि उनके खिलाफ पर्याप्त सबूत एजेंसी के पास थे। NSE के कई पदों पर 1994-2013 के बीच रवि अपनी सेवा दे चुके हैं।
BY ANJALI TIWARI