गया में ड्रोन से निगरानी और फिर की जा रही अफीम की फसल का नष्टीकरण

Gaya: 

गया जिले के मोहनपुर,बाराचट्टी, इमामगंज, डुमरिया आदि क्षेत्रों में धड़ल्ले से मौत की खेती की जा रही है. गया के इमामगंज प्रखंड के सलैया थाना क्षेत्र में बिहार-झारखंड के सीमावर्ती इलाकों के घने जंगलों के बीच अफीम की खेती धड़ल्ले की जा रही है. अफीम की खेती के नष्टीकरण के पहले उत्पाद विभाग के द्वारा अफीम की खेती की सूचना पर ड्रोन से एरियल सर्वे कराया जाता है ताकि अफीम की फसल लगे होने का पुष्टि और कितनी भूमि पर लगाई गई है, इसका आंकलन हो सके. उसके बाद एसएसबी, नारकोटिक्स विभाग, वन विभाग और उत्पाद विभाग की संयुक्त टीम के द्वारा छापेमारी कर अफीम के फसल को नष्ट कराया जाता है. इमामगंज के सलैया थाना क्षेत्र के पत्थलधसा और जारी आहर इलाके में कुल 36 एकड़ भूमि पर लगाए गए अफीम की फसल को नष्ट कराया गया है

जिसमें वन विभाग और रैयती जमीन पर बड़े पैमाने पर अफीम की खेती की जा रही थी. खेतों में लगे अफीम की फसल पर ट्रैक्टर चलाकर नष्ट किया गया है. ज्ञात हो कि इन इलाकों में अफीम की खेती के पीछे नक्सली संगठनों का हाथ होता है. जंगलों में वन विभाग की खाली पड़े जमीन पर अफीम की खेती स्थानीय ग्रामीणों के सहारे कराई जाती है. हर वर्ष विभाग के द्वारा इन इलाकों में अफीम की फसल बड़े पैमाने पर की जाती है और फिर नष्टीकरण की कार्रवाई की जाती है. कम समय में लाखों रुपए की आमदनी हो जाती है और इसकी तस्करी के लिए अफीम के फसल से निकले लिक्विड को कोलकाता लैब भेजा जाता है. जहां हीरोइन, चरस आदि ड्रग्स बनाए जाते हैं, जिसकी मेट्रो सिटी में काफी खपत होती है.

उत्पाद विभाग के सहायक आयुक्त प्रेम प्रकाश ने बताया कि इमामगंज में 36 एकड़ भूमि पर लगे अफीम की फसल को नष्ट किया गया है. वहीं, जिले में अब तक 356 एकड़ भूमि पर लगे अफीम की फसल को नष्ट किया जा चुका है. सूचना पर उस क्षेत्र में ड्रोन से सर्वे कर नष्टीकरण का कार्य किया जा रहा है. वहीं, रैयती भूमि या वन विभाग की भूमि पर अफीम की खेती करने वालो की पहचान पर खेती करने वालो पर भी स्थानीय थानों में प्राथमिकी दर्ज कराई जा रही है.

Spread the love

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *