Asaduddin Owaisi का शाह पर पलटवार, ‘हैदराबाद के बिना भारत अधूरा, आजादी की जंग में नहीं थी RSS-BJP’
Asaduddin Owaisi Statement: केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह (Amit Shah) ने आरोप लगाया था कि वोट बैंक की राजनीति के कारण टीआरएस तेलंगाना में ‘हैदराबाद मुक्ति दिवस’ आधिकारिक तौर पर नहीं मनाती है. इसका असदुद्दीन ओवैसी (Asaduddin Owaisi) ने जवाब दिया है.
Owaisi On Shah Remarks: एआईएमआईएम (AIMIM) चीफ असदुद्दीन ओवैसी (Asaduddin Owaisi) ने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह (Amit Shah) की बात का जवाब दिया है. असदुद्दीन ओवैसी ने कहा कि हम तब भी थे और अब भी हैं. हैदराबाद के बिना भारत अधूरा है. आजादी की जंग में RSS-BJP नहीं थी. बता दें कि बीते 17 सितंबर को अमित शाह ने तेलंगाना दिवस के मौके पर ओवैसी और राज्य में सत्तारूढ़ केसीआर सरकार पर निशाना साधा था. शाह ने कहा था कि वोट बैंक की राजनीति की वजह से टीआरएस ‘हैदराबाद मुक्ति दिवस’ मनाने का साहस नहीं जुटा पाई.
‘हैदराबाद के बगैर भारत अधूरा’
पलटवार करते हुए असदुद्दीन ओवैसी ने कहा कि याद रखो हैदराबाद के बगैर भारत अधूरा है और हैदराबाद, भारत के बगैर अधूरा है. ये चीज समझने की जरूरत है. हम कब विरोधी थे. 17 सितंबर क्या मजलिस बोलती है कि नहीं मनाना. अरे बाबा तुम कहां थे. हम जब भी थे, आज हैं और कल भी रहेंगे. आजादी की जंग में RSS नहीं थी, बीजेपी नहीं थी. देश 1947 में आजाद हुआ, उसमें भी नहीं थे.
भारत का हिस्सा बनने से हैदराबाद के लोग खुश
एआईएमआईएम चीफ असदुद्दीन ओवैसी ने कहा कि अब वो आकर कहते हैं कि मैं वफादार, मैं वफादार. बता दें कि ये बयान ओवैसी ने एक रैली को संबोधित करते हुए दिया. असदुद्दीन ओवैसी ने वहां मौजूद लोगों से सवाल किया कि आप बताइए कि क्या आप खुश नहीं है हैदराबाद, भारत का हिस्सा बना. इसके बाद ओवैसी ने कहा कि इन लोगों को कुछ सुनाई नहीं देता है. जो WhatsApp यूनिवर्सिटी में आता है वही पढ़ देते हैं.
अमित शाह ने लगाया था ये आरोप
बीजेपी ने आरोप लगाया था कि ‘वोट बैंक की राजनीति’ के कारण तेलंगाना में ‘हैदराबाद मुक्ति दिवस’ अभी तक आधिकारिक तौर पर नहीं मनाया गया, वहीं सत्तारूढ़ दल ने कहा था कि सांप्रदायिक ताकतें समाज को बांटने की कोशिश कर रही हैं. अमित शाह ने कहा था कि क्षेत्र के लोगों की मांग थी कि सरकार की भागीदारी से ‘हैदराबाद मुक्ति दिवस’ मनाया जाए, लेकिन यह दुर्भाग्य की बात है कि 75 साल बीत गए, मगर यहां सत्ता में बैठे वाले लोग वोट बैंक की राजनीति के कारण ‘हैदराबाद मुक्ति दिवस’ मनाने का साहस नहीं जुटा पाए.